कैसे बनाए जिद्दी बच्चों को समझदार
जिद्दी बच्चों को संभालना कई पैरेंट्स के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन चुकी है. बच्चों को नहलाने से लेकर, खाना खिलाने, सोने तक हर बात पर बच्चों को समझाने से मुश्किल काम औऱ कोई नहीं रह जाता है. बच्चों की परवरिश में पैरेंट्स की गलतियां दिन पर दिन और भारी पड़ती चली जाती हैं औऱ बच्चा पूरी तरह से नियंत्रण से बाहर निकल जाता है. कई शोध में ये बात सामने आई है कि आजकल के बच्चे जरूरत से ज्यादा जिद्दी और चिड़चिड़े हो रहे हैं. इन बच्चों को संभालने में कई पैरेंट्स के लिए बड़ी चुनौती बन जाती है. बच्चों को नहलाना, खिलाना और सुलाने में बहुत सी परेशानिया होने लगती हैं. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि आज के पैरेंट्स अपने बच्चों को ज्यादा ही छूट देते हैं और वे नियंत्रण से बाहर हो जाते हैं. मनोवैज्ञानिकों और पैरेंटिंग एक्सपर्ट्स से जानिए कैसे जिद्दी बच्चों की परवरिश करें कि वे एक समझदार बच्चे बनें…
बच्चा जिद्दी है तो करें ये काम :
अगर आपका बच्चा कुछ कह रहा है तो उसे नजरअंदाज ना करें उसे ध्यान से सुने ना कि बहस करें. अगर जिद्दी बच्चों से पैरेंट्स बहस करने लगते हैं तो वे चिड़चिड़ा जाते हैं और जिद्द करने लगते हैं. अगर उन्हें ये एहसास होने लगता है कि उनकी बात नहीं सुनी जा रही तो वे धीरे-धीरे अपनी बात कहना भी छोड़ देते हैं. इसलिए जो बच्चे जिद्द करते हैं उनके साथ पैरेंट्स को समय जरूर बिताना चाहिए.
ऐसे बच्चों से जबरदस्ती करने की गलती आपको बिल्कुल भी नहीं करनी चाहिए क्योंकि ऐसा करने से वे विद्रोही से हो जाते हैं. उस समय तो आप उस पर काबू पा सकते हैं लेकिन उसका स्वभाव दूसरों के प्रति खराब हो जाता है. बच्चों से जबरन काम करवाने से अच्छा है उन्हें प्यार से खुद से कनेक्ट करिए.
बच्चों के पास भी अपना दिमाग होता है और वे हमेशा वो नहीं करना चाहते जो आप चाहते हैं. अगर आप अपने 5 साल के बच्चे को कहेंगे कि वो 9 बजे बिस्तर में चला जाए तो ऐसे में वो आपको पलट कर जवाब भले ना दे लेकिन उसका मन आपके लिए खराब हो सकता है. बच्चों को आदेश ना देकर प्यार से अपनी बातें मनवाना बेस्ट ऑप्शन होता है.
अगर आप अपने बच्चे से हर बात चिल्लाकर मनवाती हैं तो वो भी आपकी तरह चिल्लाना सीख सकता है. ऐसे में आपको बुरा लगेगा और आप उसे मारना-डांटना शुरु कर देते हैं और वो भी आपा खो बैठता है और जिद्द के घेरे में आ जाता है. आप एडल्ट है तो बच्चों जैसा बिहेव ना करें और बच्चों को शांत रहकर समझाएं.
अगर आप चाहते हैं कि बच्चा आपका और सबका सम्मान करे तो आपको भी उसका सम्मान करना होगा. क्योंकि बच्चा वो ही करता है जो अपने बड़ों को करते देखता है. आपका बच्चा आपकी अथॉरिटी बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करेगा अगर आप उन पर बातें थोपेंगे तो वो भी उसे काम की तरह ही करेगा ना कि अपना काम समझकर करेगा.
अगर आप चाहते हैं कि आपका जिद्दी बच्चा आपका हर कहा माने और आपके साथ खाली समय में काम में हाथ बंटाए तो आपको भी वही करना होगा. अगर वो कोई काम कह रहा है तो आपको उसे कर देना चाहिए ना कि बड़े होने के रौब में आप वो ना करें और उसे डांट अलग दें.
ऐसे में उसके मन में गलत भावना आ जाएगी और बड़े होने पर बाहर उठने-बैठने पर वो दूसरों के साथ भी वैसा ही हो जाता है. आप उससे छोटी-छोटी बातें कहे जैसे ‘तुमसे मैंने ये कहा था’ के बजाए ‘चलो ऐसा करते हैं’, ऐसा करें क्या?
कई बार ऐसा होता है कि अपने बच्चों के साथ निगोशिएट करना भी जरूरी होता है. जब बच्चों को अपनी मर्जी की चीजें नहीं मिलती तो वे जिद दिखाने लगते हैं. इसका मतलब ये नहीं होता कि आप उनकी हर बात मान लें बल्कि इसका मतलब ये है कि सूझबूझ के साथ उस बात को माने वो भी व्यावहारिक हल के साथ.