जानिए कौन है भारत में वॉशिंगटन,जगह या नाम ?
आपने आज तक अमेरिका के वॉशिंगटन डी.सी. के बारे में ही सुना होगा । क्या आपको पता है कि हमारे देश में भी एक वॉशिंगटन है । जी हां , ये सच है कि, हमारे देश में भी एक वॉशिंगटन है । बस, फर्क इतना है कि अमेरिका में वॉशिंगटन डी.सी. एक जगह है जबकि भारत में वॉशिंगटन नाम का एक शख्स है । आईए जानते है, कौन है ये शख्स और इनके नाम के पीछे छिपे किस्से के बारे में…
हाल ही में वाशिंगटन सुंदर सबसे पहले श्रीलंका में हुई निदाहास टी20 ट्राई सीरीज में सुर्खियों में आए। वो इंडियन क्रिकेट टीम में स्पिनर की भूमिका निभाते हैं । निदाहास टी20 ट्राई सीरीज इंडियन स्पिनर वाशिंगटन सुंदर के लिए बेहद खास रही । क्योंकि इस सीरीज से ही उन्होंने इंटरनेशनल क्रिकेट में कदम रखा है । इस सीरीज के दौरान वे टीम इंडिया की सबसे बड़ी खोज साबित होकर निकले। सीरीज के 5 मैचों में 8 विकेट लेकर वे हाइएस्ट विकेट टेकर बॉलर साबित हुए। जिसके बाद उन्हें ‘प्लेयर ऑफ द सीरीज’ भी चुना गया। इसके अलावा वो IPL 2018 में भी खेलते नजर आएंगें। टीम इंडिया का ये बॉलर एक बड़ी शारीरिक समस्या से पीड़ित है, जिसके बारे में कम ही लोग जानते हैं। सिर्फ एक कान से सुन पाते हैं सुंदर…
वाशिंगटन सुंदर को सिर्फ एक कान से सुनाई देता है। जब वे चार साल के थे, तब उनकी बीमारी का पता चला था।इसके बाद इलाज के लिए उनके पैरेंट्स कई अस्पतालों में घूमे, लेकिन फिर पता चला कि ये बीमारी ठीक नहीं हो सकती।
सुंदर को भी इसके चलते काफी परेशानी का सामना करना पड़ता था। लेकिन उन्होंने इस कमजोरी को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया। वे कहते हैं, ‘मुझे मालूम है कि फील्डिंग के दौरान साथी खिलाड़ियों को कॉर्डिनेट करने में दिक्कत होती है। पर उन्होंने कभी इसके चलते मुझसे शिकायत नहीं की। वे मेरी कमजोरी को लेकर कभी कुछ नहीं कहते।’
IPL 2018 में वाशिंगटन सुंदर रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु टीम से खेलते नजर आएंगे। जिसने उन्हें 3.2 करोड़ रुपए में खरीदा है।
नाम के पीछे की इंट्रेस्टिंग स्टोरी
वाशिंगटन सुंदर के पिता एम. सुंदर ने एक बार बताया था कि उन्होंने अपने बेटे का नाम अपने गॉडफादर पीडी. वाशिंगटन के नाम पर रखा है। सुंदर के पिता के मुताबिक, ‘मैं हिंदू हूं। हमारे घर के पास दो गली छोड़कर एक्स-आर्मी पर्सन पीडी वाशिंगटन रहते थे। वो क्रिकेट के बहुत शौकीन थे। वो हमारा मैच देखने ग्राउंड पर आते थे। वो मेरे खेल में इंटरेस्ट लेने लगे। यहीं से हमारे बीच अच्छी रिलेशनशिप बन गई।’
एम. सुंदर के अनुसार, ‘हम गरीब थे। वाशिंगटन मेरे लिए यूनिफॉर्म खरीदते थे, मेरी स्कूल फीस भरते थे, किताबें लाते थे, अपनी साइकिल पर मुझे ग्राउंड ले जाते थे। उन्होंने हमेशा मेरा हौसला बढ़ाया। मेरे लिए वो सबकुछ थे। जब रणजी की संभावित टीम में मेरा सिलेक्शन हुआ था तो वो सबसे ज्यादा खुश हुए थे। ‘तभी अचानक 1999 में वाशिंगटन की डेथ हो गई और इसके कुछ समय बाद ही बेटे का जन्म (5 अक्टूबर, 1999) हुआ।
एम. सुंदर के मुताबिक, ‘बेटे के जन्म से पहले ही मैंने ये तय कर लिया था कि उसका नाम उस इंसान के नाम पर रखना है, जिन्होंने मेरे लिए बहुत कुछ किया था। ’ इस तरह एम. सुंदर ने अपने बेटे का नाम वाशिंगटन सुंदर रख दिया। सुंदर के अनुसार यदि उनका दूसरा बेटा होता तो वो उसका नाम भी वाशिंगटन जूनियर रखते।